Saturday, August 25, 2018

जान की कीमत जान से (दुःखी बिल्ली का वृतांत)


जान की कीमत जान से, ये बात आज फिर साबित हुई 
जन्म देने वाली भी मृत्यु में भागी हुई 

किये थे जिसने ब्यभिचार दहसत का अत्याचार 
डूबी है आज व्याकुल दुःख में लगा रही करुणामयी पुकार 

सर्वस्व न्योछावर करके भी जो बचा सकी नहीं कुछभी 
कंठ से करुणा पुकार वो लगा रही फिर भी 

बिड़ाल इस घटना को किंचित मात्र तेरे जीवन का अभिशाप समझ 
किये गए पापो का इसको विराट पश्चाताप समझ
४ प्रहर के पश्चात आती है वो रात समझ 

जान गवां के अपनों की जो जान की कीमत जानी है 
ये तो मात्र एक छोटी सी कुदरत की मनमानी हैं 

पवन शर्मा (विचारक)

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